27- 06- 22धारावाहिक मकाफात - ए - अमल episode 12
पेन रख लिया, पेंसिल रखली , प्रवेश पत्र रख लिया कुछ छूटा तो नही है ज़ोया कही जल्दबाज़ी में कुछ भूल जाऊ या अल्लाह इस बार पेपर अच्छा हो जाए जो इस B. A से मेरी जान छूट जाए। ज़ोया ने अपने आप से कहा क्यूंकि उसका एग्जाम था।
"अरे ज़ोया आज तू बढ़ी जल्दी उठ गयी बिस्तर से तेरी तबीयत तो ठीक है " उसकी अम्मी जो अचानक कमरे में आ गयी और बोली
"उफ्फ अम्मी आपने तो डरा दिया मुझे मैं समझी पता नही कौन पीछे से आकर बोल रहा है " ज़ोया ने कहा
"कहा की तैयारी हो रही है, जो आज इतनी सुबह उठ गयी " सहर ने पूछा
"अम्मी वो आज मेरा एक्स,,,,," जोया कहते कहते रुक गयी और अपने आप से बोली " ज़ोया पागल है क्या, अम्मी को अगर पता चल गया की मेरा डब्बा गुल हो गया था इंग्लिश में और मैं आज उसी का एग्जाम देने जा रही हूँ, तो तेरी खेर नही अभी अम्मी अपने पैर की जूती निकालेंगी और पूरे मोहल्ले के सामने तुझे मारेंगी तेरा बाहर निकलना बंद हो जाएगा " तभी उसे कुछ महसूस हुआ उसने देखा उसकी माँ उसे झाँझोड़ रही थी और पूछ रही थी कि कहा खो गयी बताना कहा जा रही है आज इतनी जल्दी
ज़ोया खयालो से निकल कर हकीकत की दुनिया में आती और हकलाते हुए कहती " अ,,,,, अ,,,, अम्मी आज वो कॉलेज में कुछ प्रोग्राम हो रहा है इसलिए जल्दी जाना है सबको और आज किताबें भी लेकर नही जाना है बस पेन लेकर जाना है "
"ठीक है ठीक है, नाश्ता करके भी जाना है या खाली पेट जाएगी " सेहर ने पूछा
"अम्मी नाश्ता करके जाउंगी अब जल्दी से चाय बना दो मेरे लिए और हा ब्रेड पर जैम लगा देना पराठे मत बनाना " ज़ोया ने कहा
"ठीक है , इतनी जल्दी कर रही है मानो कोई परीक्षा देने जा रही है , सच सच बता ज़ोया कही तू कोई एग्जाम तो नही देने जा रही है जिसमे तू फ़ैल हो गयी हो " सेहर ने कहा
"नही अम्मी ऐसा वैसा कुछ नही है , अब बस जाकर चाय बना दो ताकि मैं जा सकूँ " ज़ोया ने कहा
अच्छा तू कह रही है तो मान लेती हूँ, ये कहकर सेहर रसोई घर की और चली गयी ।
तोबा सुना था माएँ सब जान लेती है औलाद के बारे में उसके हाव भाव से आज देख भी लिया। इतना तो कभी मेने खुद को नोटिस नही किया जितना अम्मी ने कर लिया है की मैं इस तरह की जल्दी तब ही करती हूँ जब मुझे कही एग्जाम देने जाना होता है । बच गयी ज़ोया अब बस नाश्ता कर और कॉलेज की और निकल उस नवाब साहब को भी फ़ोन करना है सो रहा होगा ये कह कर ज़ोया ने हम्माद को चुपके से फ़ोन किया।
"हाँ, कहा पर हो तुम " ज़ोया ने पूछा
"बस वही खड़ा तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ जहाँ रोज़ तुम्हारा इंतज़ार करता हूँ " हम्माद ने कहा
"तुम आ भी गए, बढ़ी जल्दी अभी तो मुझे नाश्ता भी करना है " ज़ोया ने कहा
"अरे मेरी जान का पेपर है , आज थोड़ी उसे देर करा सकता हूँ तुम आराम से नाश्ता करो मैं 10 मिनट में तुम्हे कॉलेज पंहुचा दूंगा " हम्माद ने कहा
"ओह, तुम कितने अच्छे हो बस मैं 10 मिनट में आयी तुम वही रुको " ज़ोया ने कहा
"ठीक है अब मैं फ़ोन रखता हूँ " हम्माद ने फ़ोन रख दिया और अपने आप से कहा " चल हम्माद अब बिस्तर को छोड़ दे तेरे पास सिर्फ दस मिनट है, मैं तो भूल ही गया था , की आज उसका पेपर है चल अब जल्दी से चल वरना वो फिर नाराज़ हो जाएगी और फिर नखरे करेगी
ज़ोया नाश्ता करके बाहर चली गयी । और वही जाकर हम्माद का इंतज़ार करने लगी और बोली " कह रहा था की यही खड़ा हूँ अब कहा चला गया "
ज़ोया थोड़ी देर खड़ी रही तब ही हम्माद बाइक लेकर वहा आ गया और ज़ोया उसके साथ बैठ कर चली गयी अपने कॉलेज ।
तबरेज भी घर से आज जल्दी चला गया दुकान पर क्यूंकि किसी की गाड़ी देना थी आज जो की सही होने आयी थी ।
तबरेज दुकान पर पंहुचा तो देखा दुकान खुली थी । दुकान किसने खोली , अनुज तो स्कूल गया होगा तबरेज ने अपने आप से कहा और दुकान की तरफ बड़ा तो देखा ।
साद दुकान के अंदर था और कुछ लोग उसके पास खड़े थे । साद तबरेज को देख घबरा सा गया और बोला " भ,,,,, भ,,,, भाई आप जल्दी आ गए "
"हाँ, साद वो आज एक ग्राहक को उसकी गाड़ी देने का वायदा किया था थोड़ा काम रहता है उसमे इसलिए जल्दी आ गया , वैसे तुम आज बहुत जल्दी आ गए और ये लोग कौन है " तबरेज ने पूछा
"तबरेज भाई ये मेरे कुछ दोस्त है जो मुझसे मिलने आये थे दुकान पर , इन्ही को दुकान दिखाने के लिए यहाँ आया था । अच्छा दोस्तों तुम लोग चलो मैं शाम को मिलता हूँ " साद ने कहा
वो लोग चले गए उनके जाने के बाद तबरेज ने साद से कहा " साद ये तुम्हारे दोस्तों में से एक लड़का अच्छा नही है , ये पहले एक वर्कशॉप पर काम करता था वहा पर गाड़ी के समान की चोरी करता था इसलिए इसे दुकान वाले ने निकाल दिया था, इससे दूर रहना "
"ऐसा कुछ नही है भाई , मैं इसे अच्छे से जानता हूँ इसका मालिक ही बुरा इंसान था बेचारे पर झूठा इल्जाम लगा कर निकाला था दुकान से " साद ने कहा
"फिलहाल जो भी हो दूरी बना कर रखना इनसे ये अच्छे लोग नही है कुछ भी कर सकते है "तबरेज ने कहा और काम पर लग गया
साद का मोबाइल बजता और वो दुकान से बाहर आ जाता और वो चारो लड़के जो बाहर खड़े थे उनके पास चला जाता।
तबरेज ने उसे जाते देख लिया और अपने आप से बोला " नही पता ये लोग क्या खिचड़ी पका रहे है "
साद उन लड़को के साथ चाय की टपरी पर बैठा और पांच चाय मंगाई और बोला " तुम चारो ने दुकान तो देख ही ली और वहा काम करने वाले को भी देख लिया एक और है छोटा सा प्यादा वो दोपहर बाद आएगा "
"हाँ, भाई हमने दुकान देखी , तेरी दुकान तो हीरा है हीरा बस अगर उसे हम जैसे चलाने वाले मिल जाए तो वो दुकान सोना उगले गी सोना " उनमे से एक लड़के ने कहा
"लेकिन कैसे " साद ने पूछा
"पहले तो हमें तेरे उस भाई और उस लड़के को दुकान से निकालना होगा उसके बाद हम लोग चोरी की गाड़िया तेरी दुकान में लाएंगे और उनकी मरम्मत करके उन्हें बेच देंगे इस तरह हम लोग बहुत सारा पैसा कमा लेंगे " दूसरे लड़के ने कहा
"नही यार, ये तो बहुत गलत काम होगा कही पकडे गए तब , और अगर अब्बू को पता चल गया तब " साद ने डर कर कहा
"तुझे अमीर बनना है ना, ज़्यादा पैसे कमाना है तो बस यही एक रास्ता है , और वैसे भी तेरे अब्बू दुकान पर कम ही आते है तूने ही कहा था क्यूंकि वो बीमार रहते है " उस लड़के ने कहा
"हाँ, यार ये तो है पैसे तो कमाना है " साद ने कहा
"तो बस फिर देर किस बात की है पहले तू उन दोनों को निकाल और फिर हमें अपनी दुकान में रख ले अपने अब्बू से कह कर उसके बाद देख तू केसा अमीर बनता है " उस लड़के ने कहा
"ठीक है , इस काम को मैं अकेला तो अंजाम नही दे सकता मुझे अपने भाई की भी मदद लेनी पड़ेगी उसे भी पैसो का लालच दूंगा ताकि वो विदेश जा सके " साद ने कहा
"चलो फिर ठीक है मिलते है , पहले तू उन दोनों को निकाल दुकान से क्यूंकि तेरा वो भाई मुझे जानता है कि मैं कौन हूँ और कहा काम करता था " उस लड़के ने कहा जिसे तबरेज जानता था
"हाँ, यार सही कहा तूने , भाई ने तुझसे मिलने को मना किया था कह रहे थे तूने दुकान से चीज़े चुराई थी " साद ने कहा
"साद मेरे दोस्त तू नही जानता है कि मेरा मालिक कितना खड़ूस था , समय पर पैसे नही देता था इस वजह से मुझे समान चुरा कर बेचना पड़ा नही तो भला मैं क्यू चोरी करता , एक बार तेरी दुकान पर लग जाऊ फिर देख मैं कितनी मेहनत करता हूँ " उस लड़के ने कहा आँखों में मगरमच्छ के आंसू लाते हुए
"मत रो मेरे भाई , बस तुम तैयारी करो मेरी दुकान पर आने कि फिर हम सब मिलकर खूब पैसा कमाएंगे अब्बू को भी दिखा दूंगा कि उनका बेटा किसी से कम नही है जो बेवजह हमें डांटते रहते है । और उन दोनों को तो में आज कल में निकाल कर रहूंगा अपने चाटे का बदला भी लेना है जो उस रात अब्बू ने मारा था मेरे गाल पर " साद ने कहा उसके बाद दोनों चले गये ।
साद दुकान पर आ गया और कोई तरीका सोचने लगा उन दोनों को वहा से निकालने का।
थोड़ी देर बाद समी भी दुकान पर आ पंहुचा और साद से कुछ पैसे मांगे।
साद जो कि मोके की तलाश में था अपने भाई को अपने साथ मिलाने की
उसे बाहर ले जाकर बोला " समी तुझे विदेश जाना है ना "
"हाँ भाई जाना तो है लेकिन पास पैसे नही है और अब्बू परदेस जाने के लिए पैसे नही देंगे " समी ने कहा
"ठीक है तुझे पैसे चाहिए ना, मैं तुझे दूंगा " साद ने कहा
"क्या सच में, आप मुझे पैसे दोगे " समी ने आश्चर्य से पूछा
"हाँ, मगर उसके लिए तुझे मेरा साथ देना होगा " साद ने कहा
"साथ देना होगा, लेकिन किस चीज में "समी ने पूछा
"बताता हूँ, तफसील से बताता हूँ " साद ने कहा और एक एक बात बता दी अपने भाई समी को
"भाई ये क्या कह रहे हो, इस काम में बहुत खतरा है " समी ने कहा
"कुछ नही होता, पैसा इतनी आसानी से नही कमाया जाता ऊँगली टेड़ी करना पडती है कभी कभी , आखिर ईमानदारी से काम करके हम लोग कितना कमा लेंगे इस दुकान से ना तो तू परदेस ही जा पायेगा और ना मैं अपना व्यवसाय ही जमा पाउँगा। जैसे अब्बू ने अपनी जवानी इस दुकान में बेकार करदी ईमानदारी से काम करके उसी तरह हम लोग भी बूढ़े हो जाएंगे इस दुकान को ईमानदारी से चलाते चलाते इसलिए अब हमें ये करना होगा और वैसे भी किसे पता चलेगा की ये गाड़िया चोरी की है । जब हम उनको बदल देंगे " साद ने कहा
"ठीक है लेकिन तबरेज भाई और उस अनुज का क्या करोगे तुम, ये कुछ सोचा है वो तो अब्बा को ज़रूर बता देंगे उसके बाद हम लोग दुकान तो दुकान घर से भी निकाल दिए जाएंगे " समी ने कहा
"ये सब मुझ पर छोड़ दे जैसा मैं कहु बस वैसा ही कर और देख मेरा कमाल कैसे हम लोग रातो रात अमीर होते है " साद ने कहा और दोनों ने चाय पी
दोपहर हो चुकी थी अनुज भी आ चुका था। दोनों अनजान थे की उनके साथ क्या होने वाला है, कोनसा तूफान उनकी ज़िन्दगी में आने वाला है ।
तबरेज के पास किसी का फ़ोन आता है । और वो उसे गाड़ी ठीक करने के लिए बाहर बुलाता है । तबरेज अपना समान उठाता और रिक्शा में बैठ कर जा रहा होता है।
तभी अचानक उसकी नज़र उसके बराबर से गुज़रती मोटर साइकिल पर पड़ी उसे जोया की एक बार और झलक दिखाई दी क्यूंकि जैसे ही वो बाइक उस रिक्शा के पास से गुज़री तबरेज का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा था ।
ज़ोया जो की बाइक पर बैठी अपने उड़ते बाल अपने मुँह पर से हटा रही थी । तबरेज उसे देखता ही रहा जब तक की रिक्शा आगे ना निकल गयी।
तबरेज रिक्शा रोक कर उसे रोकना चाहता था लेकिन किस हक़ से वो उसे रोकता, जिसे वो जानता तक नही, जिसका नाम भी उसे नही मालूम वो कैसे एक अनजान लड़की को रोक सकता था।
तबरेज मन ही मन खुश हो रहा था ज़ोया की दोबारा झलक पा कर । उसे उम्मीद नही थी की इतने बड़े शहर में वो उसे दोबारा देख पायेगा लेकिन ये रब का कोई इशारा ही था जो वो आज इतने दिनों बाद उसे दोबारा दिखाई दी।
तबरेज गाड़ी सही करके दुकान पर आ गया और घर की और जाने लगा तभी उसका दोस्त जुनेद उसे रास्ते में मिल गया जो की उसके घर ही जा रहा था ।
अरे तबरेज अच्छा हुआ तुम रास्ते में ही मिल गए मेरे पास तुम्हारे लिए एक खुशखबरी है जिसे में तुम्हारे साथ बाटने जा रहा था तुम्हारे घर , शायद ये सब तुम सब लोगो की दुआओ का नतीजा है
"अरे भाई सास तो ले कम से कम ऐसा भी क्या हो गया की तु इतना खुश हो रहा है " तबरेज ने कहा
"भाई बात ही कुछ ऐसी है, की तुझे बताये बिना रहा नही जा सकता ' जुनेद ने कहा
"अब बताएगा भी की आखिर बात क्या है , या सिर्फ पहेलियाँ बुझाएगा " तबरेज ने कहा
आखिर ऐसी क्या बात है जो जुनेद इतना खुश है जानने के लिए पढ़ते रहिये हर सोमवार
धन्यवाद
Pallavi
29-Jun-2022 06:59 PM
Nice post 👍
Reply
Raziya bano
28-Jun-2022 09:04 AM
Nice
Reply
Gunjan Kamal
27-Jun-2022 12:12 PM
👏👌👌🙏🏻
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